Thursday, 15 February 2018

हर युवा की कहानी:(

किसी मोड़ पर अगर कहीं मिल जाओ तो घबराना मत, आँखे मत चुराना! मैं तुमसे नहीं पूछूंगा कि तुम कैसी हो?तुम्हे चेहरे पर कोई झूठी मुस्कान का बोझ रख कर एक फर्जी खुशनुमा दुनिया गढ़ने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी! मैं ये भी नहीं पूछूंगा कि तुम्हारे ‘वो’ तुम्हे खुश रखते हैं या नहीं! तो तुम्हे मनगढ़ंत छुट्टियों का ज़िक्र भी नहीं करना पड़ेगा! तुम्हे आँखें बड़ी करके खुदको नार्मल दिखाने की कोशिश नहीं करनी होगी क्यूंकि मैं नहीं पूछूंगा कि इतने साल कैसे गए मेरे बिना! नहीं जानना मुझे कि मैंने जो चांदी की अंगूठी तुमको दी थी वाईट गोल्ड बताकर, वो तुमने अकेले में घुमाघुमाकर कितनी रातों तक काजल जलाए! मेरी उस एकलौती पासपोर्ट साइज़ वाली फोटो का दाह संस्कारतुमने उसी शमशान में कर दिया होगा जहाँ मेरे बाकी खतों की राख उड़ रही है, ऐसा मैं मान ले रहाहूँ! ये भी नहीं पूछूंगा कि तुम्हारा वो सपना जिसे तुमने मुझे मजबूरी बताया था वो पूरा हुआ या नहीं! मैं नहीं जानना चाहता कि तुम्हारी आँखों के नीचे ये झाईदार गड्ढे क्यूँ आ गए हैं और हथेलियों में वो पहले जैसी नरमी क्यों नहीं? तुम्हारे चेहरे के ज़र्द पीलेपन को मैं मान लूँगा कि किसी स्पेशल डाईट का असर है! तुम्हारी सूनी नाक जिस पर तुम बड़ी सी नथ पहनती थी जिसे मैंने दुनिया के सारे उपमा अलंकार दे दिये थे, मैं मान लूँगा कि वो कहीं गलती से गिर गई होगी! नहीं पूछूंगा कि ऐसा क्या हो गया कितुम्हारा दोहरा बदन जिसका वज़न कम करने के लिए तुम बिना शुगर वाली कॉफ़ी पिया करती थी वो आज इतना छरहरा सा बेस्वाद क्यूँ है! तुम्हारे मुरझाये सीने के बारे में पूछने का हक तो मेरा रहा ही नहीं! अगर मैं तुम्हारी कोरी आँखों के बारे में पूछूंगा तो तुम शायद कहोगी कि तुम्हे काजल से एलर्जी होती है अब! इसलिए मैं इसका ज़िक्र भी नहीं करूँगा! मुझे नहीं मतलब तुम्हारे घर के पर्दों के रंग से या फिर कितनी क्राकरी तुम लेकर आई! मैं नहीं पूछूंगा कि जिस लड़ाई में तुमने मर मिटने की कसमें खायी थी उसमे तुमने बिगुल बजते ही हथियार क्यों डाल दिए! मैं नहीं पूछूंगा कि वो तुम्हारा पांच साल पुराना नंबर अचानक से एक दिन ‘नॉट इन सर्विस’ क्यूँ हो गया था! मुझे नहीं जानना कि तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड जिसे मैंने पचास बार चाउमीन, और सौबार कोका कोला ठुन्सवाई थी, वो तुम्हारा पता पूछने पर मुझे LIC एजेंट सा क्यों ट्रीट करने लगी थी! मुझे ये भी नहीं जानना कि अभी मुझे देख कर तुम्हारे शरीर में जो हो रहा है ये ख़ुशी की थरथराहट है या शर्म की कंपकंपाहट! मुझे कुछ नहीं पूछना! मुझे बस इतना बता दो येतुम्हारे साथ जो बच्चा मुझे मुंह खोले इतनी देर से देख रहा है इसका नाम मेरे नाम पर होना, महज संयोग है या तुमने फिर एक बार किसी और का हक़ किसी और को दे दिया!"

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मेरे पापा

मेरा अभिमान-स्वाभिमान है पापा, मेरा जमीन-आसमान है पापा, मेरे जीवन का मेज़बान है पापा, जन्‍म दिया माँ ने पर पहचान है पापा, पैरों पर खड़ा ...